किसी भी देश की खुफिया एजेंसी देश की सुरक्षा में अपना एक अलग ही महत्व रखती है। चाहे हम बात करें विदेशी गतिविधियों पर नजर रखने की या फिर आतंकी साजिश का पता लगाने की हर कम में यह एजेंसियां सक्रिय रहती हैं।
इसलिए आज हम बात करने वाले है दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी में से एक रॉ (RAW) के बारे में जैसे की रॉ क्या है, रॉ के कार्य और रॉ एजेंट कैसे बनें?
रॉ क्या है? (Raw kya hota hai)
रॉ (RAW) भारत की एक खुफिया एजेंसी है जिसका पूरा नाम है रिसर्च एंड एनालिसिस विंग अनुसंधान एवं विश्लेषण है और ये एजेंसी भारत की अंतरराष्ट्रीय गुप्तचर संस्था है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी जिसका हेड क्वार्टर नई दिल्ली में है यह संस्था सूचना के अधिकार कानून से बाहर है और संसद के प्रति भी जवाब दे नहीं है यह केवल प्राइम मिनिस्टर के प्रति ही उत्तरदायित्व होती है।
रॉ का इतिहास
रॉ के गठन से पहले जासूसी का जिम्मा सिर्फ इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) का हुआ करता था 1947 में आजादी के बाद संजीव पिल्लई इंटेलिजेंस ब्यूरो के पहले इंडियन डायरेक्टर बने 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ। जिसमें भारत को चीन के हाथों हर का सामना करना पड़ा जिसका एक बड़ा कारण था की भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो ठीक तरीके से काम नहीं कर सकी और तभी उसे समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आईबी के असफल कम को देखते हुए एक ऐसी एजेंसी बनाने का सुझाव दिया जो की केवल और केवल जासूसी का कम करें हालांकि ये अगले कुछ सालों तक केवल सुझाव के तौर पर ही रह गया।
1965 में एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ और इसी युद्ध में भी भारत के उसे वक्त के आर्मी के ने कहा की उन्हें और भी सटीक जासूसी के जानकारियां की जरूरत है। और यहीं से जासूसी के लिए एक और अलग एजेंसी बनाने के प्रयास तेज जिसके बाद 1968 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में एक अलग खुफिया एजेंसी की स्थापना हुई और इसी का नाम रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) रखा गया। और रॉ का पहले प्रमुख या चीफ आरएन काव यानी रामेश्वरनाथ काव बने और शुरुआत में इसमें काम करने वाले लोगों की संख्या करीब 250 थी।
रॉ के कार्य
- रॉ का प्रमुख कार्य जानकारी इकट्ठा करना है।
- आतंकवाद को रोकना।
- रहस्यमयी ऑपरेशंस को अंजाम देना।
रॉ एजेंट कैसे बने
रॉ एजेंट बनकर देश की सुरक्षा करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है इसीलिए रॉ एजेंट बनने का प्रक्रिया भी जटिल होती है। शुरू में रॉ में ट्रेन इंटेलिजेंस ऑफिसर्स को ही रिक्रूट किया जाता था ये ऑफिसर इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक्सटर्नल विंग से बिलॉन्ग करते थे इसके बाद मिलिट्री पुलिस और इंडियन रेवेन्यू सर्विस से भी कैंडीडेट्स को रिक्रूट किया जाने लगा।
1983 में रॉ ने अपना एक सर्विस केडर बनाया जिसका नाम है रिसर्च एंड एनालिसिस सर्विस। जिसमें रॉ एजेंट की पोस्ट पर रिक्रूट होने के लिए रिटर्न एग्जाम और इंटरव्यू से गुजरना होता है इसके लिए कैंडिडेट को सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के अंडर आने वाले ग्रुप ए सिविल सर्विसेज एग्जाम लेने चाहिए जिसकी सभी स्टेटस क्लियर करने के बाद ही क्वालीफाई कैंडीडेट्स रॉ एग्जाम का रिटर्न टेस्ट दे सकते हैं।
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आज आपने क्या सिखा?
रॉ एजेंट होना अपने आप में फक्र की बात है लेकिन आप रॉ एजेंट बनने के बारे में तभी सोचे जब आपको देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हो आप हार्ड वर्क कर सकते हो हर सिचुएशंस में खुद को संभाल सकते हो। और बिना किसी फेम और स्टारडम के एक ऑर्डिनरी पर्सन की तरह रहते हुए अपने मिशन को अंजाम देने की तैयार हो।
तो हमने आज आपको बताया की रॉ क्या होता है और रॉ एजेंट कैसे बने? अगर ये जानकारी आपके लिए मददगार साबित होती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर कीजिए।
FAQ
रॉ एजेंट की सैलरी कितनी होती है?
वैसे तो रॉ एजेंट की सैलरी फिक्स नहीं होती लेकीन कम से कम सैलरी की बात करे तो ये 1 लाख रुपये होती है|
रॉ एजेंट का क्या काम होता है?
रॉ एजेंट का काम दुसरे देशों की खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, आतंकवाद रोकना और रहस्यमयी मिशन को अंजाम देना है!