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आरक्षण क्या है, क्यों है, फायदे, नुकसान और नौकरी में आरक्षण के नियम क्या है?
नौकरी में आरक्षण: नमस्कार मित्रो, आज हम इस लेख में “नौकरी में आरक्षण के नियम” के विषय पर चर्चा करने वाले है। वैसे आरक्षण काफी संवेदनशील विषय है। कई सारे आरक्षण मिलने से खुश है, तो कई सारे आरक्षण को गलत भी ठहराते हैं और समय समय पर इस मुद्दे पर बहस होती रहती है।
लेकिन आज हम इस लेख में आरक्षण सही है या गलत? इस पर चर्चा न करके यह जानने वाले है कि आरक्षण क्या है, आरक्षण के फायदे, आरक्षण के नुकसान और सरकारी नौकरी में आरक्षण के नियम क्या है? आज का यह लेख सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालो के लिए महत्वपूर्ण है। अत: इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।
आरक्षण क्या है
आज के समय में हम कई जगहों पर “आरक्षण” शब्द को सुनते है। उदा. के लिए रेलवे सीट में रिजर्वेशन, होटल में रिजर्वेशन और किसी भर्ती में आरक्षण आदि। कई बार लोगो में यह सवाल उठता है कि आरक्षण क्या है? इसलिए “नौकरी में आरक्षण के नियम” के बारे में जानने से पहले हम जानेंगे कि आरक्षण क्या है?
आज हम जिस आरक्षण की बात कर रहे है, वह सामाजिक आरक्षण है। साधारण शब्दो में हम कहना चाहे, तो हम कह सकते है कि आरक्षण एक प्रकार का सकारात्मक भेदभाव है जिसका उद्देश्य समानता लाना या एक समतापूर्ण समाज का निर्माण करना है। यहां पर सकारात्मक भेदभाव से तात्पर्य ऐसे भेदभाव से है जिसका परिणाम अच्छा निकलता है और आरक्षण का उद्देश्य समानता लाना है।
अगर हम “नौकरी में आरक्षण” के बारे में बात करते है इसका तात्पर्य है कि आजादी के बाद संविधान में कुछ कैटेगिरी के लोगो के लिए नौकरी, शैक्षणिक संस्थाओं और विधानसभा की सीटो तक पहुंच आरक्षित करना है।
आरक्षण क्यों है
कृत्रिम भेदभाव के कारण उत्पन्न असमानता को हटाने के लिए आरक्षण जरुरी है। हमारे यहां पर आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक असमानता पायी जाती है जबकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है अर्थात सभी समान होने चाहिए।
आज भारत में कई सारे लोग करोड़पति है, तो कुछ लोगो के पास खाना खाने तक के पैसे नहीं है। ये आर्थिक असमानता है। दुसरी असमानता सामाजिक असमानता है। हम देख सकते है एक वर्ग दुसरे वर्ग को स्पर्श नहीं करता है, एक वर्ग के पास सारे अधिकार है जबकि दुसरे वर्ग के पास केवल कर्तव्य है और एक वर्ग को तो गांव से ही बाहर रहना पड़ता है।
तीसरी असमानता राजनैतिक असमानता है। एक वर्ग ऐसा है जिसके पास सारे राजनैतिक अधिकार है जबकि दुसरे वर्ग के पास कुछ नहीं है। ऐसी स्थिति में पहला वर्ग वह केवल अपने वर्ग की भलाई के लिए ही कार्य करता है। यहीं राजनैतिक असमानता है। इन असमानताओं को खत्म करने के लिए आरक्षण जरुरी है।
आरक्षण के फायदे
- आरक्षण सामाजिक न्याय की स्थापना करता है।
- आर्थिक फायदे
- आंतरिक सुरक्षा में सुधार
- लोकतंत्र को बढ़ावा
आरक्षण के नुकसान
- जातिगत आरक्षण मिलने से जातिवाद को बढ़ावा मिलता है।
- आरक्षण से दक्षता कमजोर होती है।
नौकरी में आरक्षण के नियम
अब तक हम इस लेख में आरक्षण क्या है, क्यों है और आरक्षण के फायदे और नुकसान इत्यादि के बारे में जान चुके है। अब आगे हम “नौकरी में आरक्षण के नियम” के बारे में बात करने वाले है। जैसा कि आप जानते है कि जब भी कोई सरकारी नौकरी आती है, तो उसके पदों को अलग अलग केटेगिरी में बांटा जाता है। अर्थात पदों को आरक्षण के आधार पर अलग अलग पदो में बांटा जाता है। अब हम जानने वाले है कि ये आरक्षण कैसे काम करता है?
सबसे पहले आपको क्षैतिज (Horizontal) आरक्षण और ऊर्ध्वधर (Vertical) आरक्षण के बार में जानना होगा। क्षैतिज आरक्षण में महिला, विकलांग (PH), एक्स सर्विसमेन (Ex), स्पोर्ट्स, अनाथ इत्यादि केटेगिरी आती है। ऊर्ध्वधर आरक्षण में SC, ST, OBC, EWS कैटेगिरी आती है।
Category | Reservation |
SC | 15% |
ST | 7.5% |
OBC | 27% |
EWS | 10% |
Total | 59.5% |
जब भी कोई सरकारी नौकरी की वैकेंसी निकलती है, तो उसके कुल पदों में से SC को 15%, ST को 7.5%, OBC को 27%, EWS को 10% आरक्षण मिलता है। यहां क्षैतिज आरक्षण उर्ध्वधर आरक्षण पर लगता है। अर्थात महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं दिया जाता है।
उदा. के लिए मान लीजिए कि किसी सरकारी वैकेंसी में 100 पद है, तो उस हिसाब से SC को 15% यानि 15 पद, ST को 7.5% यानि 7, OBC को 27% यानि 27, EWS को 10% यानि 10 पद मिलते है। इनको मुख्य पद कहा जाता है। अब क्षैतिज आरक्षण में जो कोटा मिलता है, वह इन कैटेगिरी के ऊपर कार्य करता है।
जैसे कि अगर महिलाओं को 50% आरक्षण मिलता है, तो उस हिसाब से SC के 15 पदों में से 7, ST के 7 पदो में से 3, OBC के 27 पदो में से 13 तथा EWS के 10 पदो में से 5 पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। शेष सीटों पर उस कैटेगिरी के पुरुष तथा ट्रांसजेंडर लड़ते है। इस बात का ध्यान रखे कि महिलाएं क्षैतिज आरक्षण के हिसाब से कैटेगिरी में जितने पद मिलेंगे, उस पर ही एग्जाम दे सकती है।
अब अगर हम इन सभी पदो का योग करते है, तो इनका योग 59 पद होता है। ये 59 पद आरक्षित पद होते है जबकि शेष 41 पद अनारक्षित पद होते है। अनारक्षित पद ऐसे पद होते है जिन्हे SC, ST, OBC, EWS किसी भी कैटेगिरी का कैंडिडेट एग्जाम देकर प्राप्त कर सकते है। हालांकि इसके लिए उस कैंडिडेट को अनारक्षित की कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करने होगे।
अगर किसी केटेगिरी का कैंडिडेट अनारक्षित कौटा से सीट प्राप्त करता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि उस केटेगिरी का कोटा खत्म हो गया है। उनका कोटा बना रहता है क्योंकि इस तरह के बच्चे को अनारक्षित कोटा से मिलती है और उनका कोटा खाली रहता है। इसका लाभ उस कैटेगिरी के दुसरे केंडिडेट लेते है।
इसके अलावा ध्यान देने योग्य एक और बात भी है। वह बात यह है कि OBC में दो प्रकार के केंडिडेट आते है। पहला ऐसे केंडिडेट (क्रीमी) जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से ज्यादा होती है तथा दुसरे ऐसे केंडिडेट (नॉन क्रीमी लेयर) होते है जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होती है। इन में से आरक्षण का लाभ केवल नॉन क्रीमी लेयर केंडिडेट ही ले सकते हैं।
ध्यान दे: आज हमने इस लेख में केंद्र स्तर की नौकरी में मिलने वाले आरक्षण के बारे में जाना है। अगर हम राज्य स्तर की भर्ती में आरक्षण के नियम के बारे में बात करते है, तो हम आपको बता दे कि अलग अलग राज्यों के लिए नौकरी में आरक्षण के नियम अलग अलग होते है।
Backlog पद क्या होते है?
जब कोई सरकारी वैकेंसी आती है तब इसमें SC, ST, OBC, EWS केटेगिरी के लिए आरक्षण के अनुसार जितने पद होते है, उनमें से अगर कुछ पद खाली रह जाते है। उदा. के लिए अगर किसी वैकेंसी में SC के लिए 15 पोस्ट आती है लेकिन उनमें से केवल 10 पदों पर ही चयन होता है और 5 पद खाली रह जाते है।
इस स्थिति में वो खाली पद बेकलॉग पद कहलाते है। ये खाली पद आने वाले वर्ष में उसी भर्ती में जोड़ दिए जाते है। इस बात का ध्यान रखे कि जिस केटेगिरी के पद खाली रहे थे, अगली बार केवल उसी केटेगिरी के केंडिडेट ही बेकलॉग पदों के लिए परीक्षा दे सकते है।
यानि कि अगर अगले वर्ष वह वैकेंसी आती है, तो वे 5 खाली पद उसमें जोड़ दिए जाते है जिन पर केवल SC केटेगिरी के बच्चे ही एग्जाम फाइट कर सकते हैं।
सीटे अनुपात से ज्यादा या कम कैसे होती है?
कई बार देखने को मिलता है कि सरकारी भर्ती में सीटे आरक्षण के अनुपात से कम या ज्यादा होती है। अनुपात से ज्यादा सीटे होने का कारण यह है कि कई बार सरकारी भर्ती निकलती है, तो उसमें आरक्षण के हिसाब से किसी केटेगिरी के लिए जितनी सीटे मिलती है, उतने सेलेक्शन नहीं हो पाते है। ऐसी स्थिति में जब चार-पांच वर्षो में वह भर्ती वापस आती है, तो उसमें उन खाली पदों को भी शामिल किया जाता हैं। इस कारण सीटे अनुपात से ज्यादा हो जाती हैं।
ठीक इसी तरह, जब किसी सरकारी भर्ती में किसी केटेगिरी को प्राप्त सीटों से ज्यादा बच्चे सेलेक्ट हो जाते है। भले ही उनका सेलेक्शन अनारक्षित सीटों से क्यों न हुआ हो। जितने ज्यादा सेलेक्शन हुए, अगले वर्ष उस भर्ती में उस केटेगिरी से उतनी ही सीटे कम कर दी जाती है। इस प्रकार कभी कभी सीटे अनुपात से कम हो जाती है।
FAQs – नौकरी में आरक्षण के नियम
प्र. SC, ST, OBC आरक्षण कितना है?
उ. वर्तमान में भारत में आरक्षण व्यवस्था के अनुसार SC को 15%, ST को 7%, OBC को 27% आरक्षण मिलता है।
प्र. सरकारी नौकरी में आरक्षण कब लागू हुआ?
उ. भारत में आरक्षण की प्रक्रिया संविधान के आर्टिकल 16 (4) के तहत 1950 में लागू हुआ था।
प्र. नौकरी में आरक्षण कौन से अनुच्छेद में दिया गया है?
उ. भारत में नौकरी में आरक्षण संविधान के अंदर अनुच्छेद 16 (4) द्वारा दिया गया है।
प्र. नौकरी में आरक्षण का उद्देश्य क्या है?
उ. आजादी के बाद संविधान में कुछ कैटेगिरी के लोगो के लिए नौकरी, शैक्षणिक संस्थाओं और विधानसभा की सीटो तक पहुंच आरक्षित करना है।
प्र. आरक्षण के जनक कौन है?
उ. भारत में आरक्षण के जनक शाहजी महाराज है क्योंकि उन्होने ही सर्वप्रथम अपनी कोल्हापुर रियासत में शुद्र तथा अति शुद्रों के लिए नौकरी में आरक्षण का प्रावधान किया था।
Conclusion – नौकरी में आरक्षण के नियम
तो दोस्तो, आज हमने इस लेख में “नौकरी में आरक्षण के नियम” के बारे में चर्चा की। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चो के लिए यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण है और लगभग सभी लोगों को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।
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