शेयर मार्केट क्या है: दोस्तों आजकल हर कोई पैसा कमाना चाहता है और उसे बढता हुआ भी देखना चाहता है। क्योंकि जिंदगी जीने के लिए पैसा बेहद जरुरी है। कोई नौकरी करके पैसा कमाता है तो कोई खुद का बिजनेस करके। लेकीन क्या आप जानते है की एक ऐसी भी जगह है, जहां आप अपने पैसों को दांव पर लगाकर पैसे कमा सकते है उसे बढा सकते है, जिसे शैयर मार्केट या स्टोक मार्केट कहा जाता है।
इसलिए आज की इस पोस्ट में हम बताने वाले है, की शेयर मार्केट क्या है? ये कैसे काम करता है? इसके फायदे और नुकसान क्या है और साथ ही शेयर मार्केट में निवेश करके पैसे कैसे कमाएं?
शेयर मार्केट का इतिहास
शेयर मार्केट की शुरुआत आज से करीब 400 साल पहले हुई थी। 1600 ईस्वी में एक डच ईस्ट इंडिया कंपनी थी जो आज के समय में नीदरलैंड्स देश हैं।
उस जमाने में लोग जहाजों के द्वारा बहुत खोजें किया करते थे। तब तक पूरी दुनिया के नक्शे की खोज नहीं हुई थी। उस समय ये कंपनी दूसरी दुनिया की खोज करने और व्यापार करने के लिए दूर-दूर तक अपने जहाज भेजती थी। यह हजारों किलोमीटर का सफर होता था, जिसके लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत होती थी ये पैसा किसी भी एक इंसान के पास इतना नहीं था।
पैसों की कमी को पुरा करने के लिए डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने आम लोगों को खुला प्रस्ताव दिया की, आप हमारे जहाज में पैसा लगाओ। और जब ये जहाज इतना लंबा सफर तय करके किसी और देश जाएंगी और वहां से जो भी खजाना ये लेकर आएंगे या जो भी पैसे कमाकर आएंगे, तो उन पैसों का कुछ हिस्सा आपको मिल जाएगा।
लेकिन ये काम बहुत रिस्की होता था, क्योंकि वो आधे से ज्यादा जहाज तो वापस लौट कर ही नहीं आते थे, गुम हो जाते थे, टूट जाते थे या लूट लिए जाते थे। तब निवेशकों ने देखा की ये काम बहुत जोखिमभरा हैं। फिर उन्होंने तय किया की एक जहाज में पैसे लगाने के बजाय अब 5-6 जहाज में पैसा लगाएंगे ताकी उनका जोखिम कम हो।
फिर जहाज के मालिकों ने एकाधिक निवेशकों से पैसे लेते थे कुलमिलाकर एक तरह से शेयर मार्केट बन गया था। डॉक्स पर जहाजों की खुली नीलामी होना शुरु हो गई। देखते ही देखते ये प्रणाली बहुत सफल हो गई, क्योंकि कंपनी की पैसों की कमी आम लोग पुरी कर देते थे। और आम लोगों को ज्यादा पैसे कमाने का मौका मिल जाता था।
इसी प्रणाली के चलते ईस्ट कंपनी और डच ईस्ट इंडिया कंपनी उस समय बहुत अमीर बन गई थी। और आज के समय में लगभग हर देश में अपना एक स्टॉक एक्सचेंज है और हर देश शेयर मार्केट पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गए है।
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा मार्केट होता है, जहां पर किसी कंपनी के शेयर्स खरीदे और बेचे जाते है। शेयर्स खरीदने का मतलब है की किसी कंपनी में कुछ प्रतिशत स्वामित्व खरीदना।
जब उस कंपनी को लाभ होगा तो उसके शेयर होल्डर को भी कुछ लाभ होगा और अगर उस कंपनी को नुकसान होता है, तो कुछ प्रतिशत में नुकसान शेयर होल्डर्स को भी सहाना पड़ेगा। स्टॉक मार्केट, शेयर मार्केट या इक्विटी मार्केट इन तीनों का एक ही मतलब है।
एक उदाहरण से समझें तो मान लिजिए आपको एक नया बिजनेस खोलना है आपके पास 10000 रुपए हैं लेकिन वो काफी नहीं है। तो आप अपने दोस्त के पास जाते हैं और कहते हो की तू भी ₹10000 लगा और हम 50-50 पार्टनरशिप करेंगे। ऐसी स्थिति में जब आपकी कंपनी भविष्य में लाभ होगा तो उसका 50% आपको मिलेगा और 50% आपके दोस्त को मिलेगा। इस केस में 50% शेयर्स आपने अपने दोस्त को दे दिए हैं।
यही चीज बड़े स्केल पर स्टॉक मार्केट में होती है। बस फर्क ये है की वहां पर आप अपने दोस्त के पास जाने की बजाय पुरी दुनिया के पास जाते हैं, और कहते हो की आओ मेरी कंपनी में शेयर्स खरीदो।
स्टॉक एक्सचेंज क्या है?
स्टॉक एक्सचेंज वो संस्थान है जहां कोई शेयर बाजार चलाया जाता है। जहां पर लोग कंपनी के शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं, यह दो टाइप के मार्केट में से डिवाइड किया जा सकता है:
- प्राइमरी मार्केट – ये वो मार्केट हैं जहां पर कंपनी एक तय कीमत पर अपने शेयर बेचती हैं, ये कंपनी के ऊपर निर्भर करता है की वो अपने शेयर का क्या प्राइस रखे हालांकि इसके कुछ नियम भी होती हैं।
- सेकेंडरी मार्केट – ये वो जगह है जहां पर लोग एक दुसरे के साथ शेयर्स को बेचते खरीदते हैं, शेयर्स की ट्रेडिंग करते हैं, यहां शेयर की कीमतें डिमांड के हिसाब से ऊपर नीचे होती रहती है।
हर देश में अपना एक स्टॉक एक्सचेंज होता है भारत में दो सबसे प्रसिद्ध स्टॉक एक्सचेंज है, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
BSE Kya hai in Hindi
BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) जिसमें करीब-करीब 5400 कंपनी रजिस्टर्ड है, इसकी स्थापना 1875 में हुई थी।
NSE Kya Hai in Hindi
NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) जिसमें 1700 कंपनी रजिस्टर्ड है, यह 1992 से अस्तित्व में आया।
अब इतनी सारी कंपनी एक स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड है तो इन सभी कंपनी के शेयर की कीमतें ऊपर जा रही हैं या नीचे, इस चीज को मापने के लिए सेंसेक्स और निफ़्टी जैसे मापदंड बनाए गए।
सेंसेक्स क्या है?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की टॉप 30 कंपनियों के शेयर कीमतों का एक औसत ट्रेंड दिखाने वाला इंडेक्स “सेंसेक्स” कहलाता है। ये दर्शाता है की इन 30 कंपनियों के शेयर प्राइस ऊपर जा रहे हैं या नीचे जा रहे हैं, सेंसेक्स का फुल फॉर्म “सेंसिटिविटी इंडेक्स” भी यही दर्शाता है।
निफ्टी क्या है?
निफ्टी National + Fifty से मिलकर बना है, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की टॉप 50 कंपनी के शेयर की कीमतें कितनी उपर नीचे हो रही है यह निफ़्टी दिखाता है।
IPO क्या होता है?
IPO का मतलब होता है Initial Public Offering. जब कोई कंपनी पब्लिक लिस्टिंग होती है तो पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है जिसे IPO कहा जाता है।
ईस्ट इंडिया कंपनी के जमाने में यह काम बहुत ही आसान था कोई भी अपनी कंपनी के शेयर पब्लिक को बेच सकता था। लेकिन आज के समय में यह प्रक्रिया बहुत ही लंबी और जटील हो गई है, ताकी फेक कंपनी और धोखाधड़ी को रोका जा सके जिसके लिए सेबी की स्थापना की गई।
सेबी (SEBI) क्या है?
सेबी (SEBI) का पूरा नाम Security Exchange Board of India यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है। यह एक रेगुलेटरी बॉडी है जो भारतीय पूँजी बाजार के कामकाज, शेयर बाजार में शेयर के लेन- देन और म्यूचुअल फंड का नियंत्रण करती है।
सेबी के कार्य
भारत में शेयर बाजार इसी संस्था के दिशा निर्देशों पर चलता है यह निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए निम्न काम करती है:
- स्टॉक मार्केट में आने वाली कंपनियों की जांच करना।
- कौन सी कंपनी को स्टॉक मार्केट पे लिस्ट किया जाए उसका चयन करना।
- लिस्टेड कंपनियों की अकाउंटिंग और बैलेंस की लगातार जांच करना।
- अगर किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर में निवेशक रुचि नहीं दिखा रहे हैं तो उस कंपनी को स्टॉक मार्केट से हटाना।
शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कैसे करें?
इंटरनेट के आने से पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग में जाकर शेयर खरीदने पड़ते थे, लेकिन इंटरनेट के आने के बाद शेयर खरीदना और बेचना काफी आसान हो गया है।
इसके लिए तीन चीजों की जरूरत पड़ती है:
- Bank Account
- Trading Account
- Demat Account
ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से आप शेयर में ट्रेड कर सकते है, जबकी डीमैट अंकाउंट में आप खरीदे हुए शेयर्स यानी Stocks को डिजिटल फॉर्म में स्टोर कर सकते है।
शेयर मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स को बायर और सेलर से मिलाने वाले को ब्रोकर कहा जाता है। ये ब्रोकर कोई इंसान, बैंक, थर्ड पार्टी ऐप या कोई प्लेटफार्म भी हो सकता है स्टॉक मार्केट में ब्रोकर के माध्यम से पैसे लगाने पर ये अपना कुछ कमीशन लेता है जिसे हम ब्रोकरेज कहते हैं।
शेयर मार्केट में दो तरीके से पैसे इन्वेस्ट कर सकते है:
- INVESTING – इसमें किसी शेयर को लंबे लंबे समय के लिए खरीदकर डीमैट अकाउंट में स्टोर किया जाता है जैसे 1 साल से ज्यादा।
- TRADING – इसमें किसी शेयर को कम समय काल के लिए खरीदा जाता है और जल्दी ही बेचकर लाभ कमाया जाता है जैसे 1 दिन, 5 दिन या कुछ महीने।
शेयर और स्टॉक में क्या अंतर है?
ये दोनों टर्म्स इंटरचेंजेबल हैं लेकिन स्टॉक एक ब्रॉडर टर्म है शेयर की तुलना में स्टॉक ज्यादा जनरल टर्म है शेयर्स की स्मॉल वैल्यू होती है जबकि स्टॉक्स की सिग्निफिकेंट वैल्यू होती है शेयर एक कंपनी के स्टॉक के एक पोर्शन को रिप्रेजेंट करता है यानी स्टॉक्स शेयर्स में डिवाइडेड होते हैं और स्टॉक का हर शेयर कंपनी की ओनरशिप का एक पोर्शन होता है।
स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट क्या होती है?
स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट वह जगह है जहां पब्लिक लिस्टेड कंपनी की शेयर्स की ट्रेडिंग होती है।
इक्विटी क्या होती है?
इक्विटी एक कंपनी में हिस्सेदारी को दर्शाती है।
शेयर होल्डर क्या होता है?
ऐसा निवेशक जिसके पास एक पब्लिक कंपनी के स्टॉक्स है उसे उस कंपनी का स्टॉक होल्डर या शेयर होल्डर कहा जाता है।
इन्वेस्टर कौन होता है?
जो कंपनी में हिस्सेदारी लेने के लिए उसके स्टॉक्स खरीदता है वो इन्वेस्टर होता है।
इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
एक दिन के लिए या एक हफ्ते के लिए और स्टेटस जल्दी जल्दी हायर प्रॉफिट के लिए शेयर्स को खरीदते और बेचते रहते हैं और जबकी इन्वेस्टिंग में अपने पैसे को कुछ सालों या उससे भी ज्यादा टाइम के लिए इन्वेस्ट करना होता है, तो उसे इन्वेस्टिंग कहा जाता है।
स्टॉक ब्रोकर कौन होता है?
स्टॉक ब्रोकर वो फाइनेंशियल प्रोफेशनल होता है जो क्लाइंट्स यानी इन्वेस्टर या ट्रेड के बिहाफ पर स्टॉक मार्केट में स्टॉक्स खरीदता और बेचता है और इसके बदले में कमीशन लेता है।
इंडिया में स्टॉक मार्केट को रेगुलेट कौन करता है?
सेबी यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया में स्टॉक मार्केट को रेगुलेट करता है और इसकी नियम फॉलो नहीं करने वालों को पनिश करने की पावर भी सेबी के पास ही है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या होते हैं?
डीमैट अकाउंट में शेयर्स और सिक्योरिटी इस इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर रहते हैं और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए शेयर्स एंड सिक्योरिटी को खरीदा और बेचा जा सकता है।
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करने की मिनिमम लिमिट क्या है?
ऐसी कोई भी लिमिट नहीं है आपके पास किसी कंपनी का एक शेयर खरीदने का अमाउंट भी है तो आप उसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं। यानी अगर एक शेयर ₹10 से भी कम का है तो आप इतने रुपए से ही इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते है।
मार्केट कैप क्या मतलब है
अगर किसी कंपनी के एक शेयर का प्राइस ₹50 है और मार्केट में उस कंपनी के टोटल 1000 शेयर्स है तो उस कंपनी का मार्केट कैप ₹50000 होगा।
बडी़ कैप कंपनी क्या होती है?
बड़ी कैप कंपनी का मार्केट कैप ₹20000 करोड़ या उससे ज्यादा होता है ये कंपनी इंडस्ट्रीज को डोमिनेट करती है, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज।
मिड कैप कंपनी क्या होती है?
मिड कैप कंपनी का मार्केट कैप 5000 करोड़ से ज्यादा लेकिन 20000 करोड़ से कम होता है, जैसे एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस।
स्मॉल कैप कंपनी क्या होती है?
स्मॉल कैप कंपनी का मार्केट क्या है 5000 करोड़ से कम होता है, जैसे हिंदुस्तान जिंक।
लिक्विडिटी क्या होती है?
एक एसेट को रीजनेबल प्राइस पर जल्दी कैश में कन्वर्ट कर पाना लिक्विडिटी कहलाता है कैश एक लिक्विड एसेट होता है। अगर किसी शेयर में कम लिक्विडिटी है तो शेयर सेल करना डिफिकल्ट हो जाता है, जिससे काफी बड़े लॉस भी हो सकते हैं।
बेयर मार्केट और बुल मार्केट क्या है?
बेयर मार्केट उस समय को कहते है जब शेयर प्राइस लगातार गिरते जाते हैं और इस कंडीशन में शेयर प्राइस कम से कम 20% तक गिर जाते हैं, इसके विपरीत बुल मार्केट के समय में लगभग सभी शेयर की कीमतें बढती रहती है।
शेयर प्राइस कम ज्यादा कैसे होते हैं?
जब किसी शेयर की डिमांड सप्लाई से ज्यादा होती है तो प्राइस बढ़ता है और जब स्टॉक के डिमांड सप्लाई से कम होती है तो प्राइस गिर जाता है।
CONCLUSION
आज हमने इस इस आर्टिकल में शेयर मार्केट और स्टॉक मार्केट की पूरी जानकारी दी है, लेकिन क्या आपको शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिए।
काफी लोग इसे जुए से कंपेयर करते हैं, क्योंकि इसमें ज्यादा जोखिम होता है और मेरी राय में दोस्तों ये बिल्कुल सही कहते है, शेयर मार्केट एक तरह का जुआ ही है। अगर आप किसी कंपनी के टाइप, परफॉर्मेंस, फाइनेंशियल रिकॉर्ड, अकाउंटिंग इनफॉरमेशन और कंपनी की हिस्ट्री नहीं देखते तो यू एक तरह से जुआ खेलने जैसा ही है।
क्योंकि आपको कोई आइडिया ही नहीं है की वो कंपनी फ्यूचर में कैसा परफॉर्म करेगी बस आप लोगों की बात सुनकर की लोग कह रहे हैं की ये कंपनी अच्छा परफॉर्म कर रही है। इसमें शेयर मार्केट में पैसे लगा ले तो इसलिए आप लगा रहे हो यहां पर ये कम बिल्कुल नहीं करना चाहिए।